पणजी. बम्बई उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने सोमवार को कहा कि राज्यपाल का कार्यालय एक सार्वजनिक प्राधिकार है इसलिए वह भी सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे से बाहर नहीं है।
बहुप्रतीक्षित मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डीजी काíणक और न्यायमूर्ति एफ एम रेइस की खंडपीठ ने इस वर्ष अगस्त में इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा था।
फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्यपाल को आरटीआई कानून से कोई राहत प्राप्त नहीं है।
गौरतलब है कि अधिवक्ता ए राड्रिग्स ने आरटीआई के तहत गोवा राजभवन से कुछ जानकारियां मांगी थीं। रॉड्रिग्स ने गोवा के राजभवन से आरटीआई कानून के तहत गोवा के महाधिवक्ता सुबोध कंटक के खिलाफ दाखिल शिकायत पर राज्यपाल द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी की मांग की थी।
गोवा राजभवन ने इस संबंध में उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर कहा था कि राज्यपाल जन प्राधिकारी नहीं है और सूचना अधिकार कानून के अंतर्गत नहीं आते हैं। इसके अलावा कहा था कि गोवा राज्य सूचना आयोग का पूर्ण तरीके से गठन ही नहीं हुआ इसलिए राज्य प्रमुख सूचना आयुक्त किसी अन्य सूचना आयुक्त की अनुपस्थित में सुनवाई नहीं कर सकता।
राज्य प्रमुख सूचना आयुक्त मोतीलाल केनी ने 31मार्च को आदेश दिया था कि गोवा के राज्यपाल जन प्राधिकारी हैं और आरटीआई कानून के तहत आते हैं। हाई कोर्ट
उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि गोवा राज्य सूचना आयोग कई सदस्यों का एक संगठन है और सिर्फ मुख्य सूचना आयुक्त के सहारे काम नहीं हो सकता। स्त्रोत : दैनिक भास्कर, Source: एजेंसी | Last Updated 11:07(15/11/11)
No comments:
Post a Comment