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Thursday, November 17, 2011

रिजर्व बैंक से उन 100 टॉप बिजनेसमैन के नामों का खुलासा करे जिन्होंने सरकारी बैंकों से कर्ज लेने के बाद चुकाया नहीं।

नई दिल्ली।। केंद्रीय सूचना आयोग ने रिजर्व बैंक से उन 100 टॉप बिजनेसमैन के नामों का खुलासा करने को कहा है, जिन्होंने सरकारी बैंकों से कर्ज लेने के बाद उसे चुकाया नहीं है।  

यह भी कहा है कि वह ऐसे उद्यमियों के नाम 31 दिसंबर तक अपनी वेबसाइट पर डाल दे। इसके अलावा वह इस सूची को हर हाल अपडेट भी करता रहे। आयोग का कहना है कि उद्यमियों का नाम सूचना के अधिकार कानून की धारा 4 के तहत सार्वजनिक किया जा सकता है। 

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने पहले इस सूचना को सार्वजनिक किए जाने का विरोध करते हुए कहा था कि ऐसी सूचनाएं उसके पास दूसरे की अमानत की तरह हैं। 

उन्हें सार्वजनिक करने से देश का आर्थिक हित प्रभावित होगा। सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने रिजर्व बैंक की इस दलील को स्वीकार किया है। उन्होंने भी यह माना है कि इस सूचना की प्रकृति दूसरे की अमानत जैसी है। पर साथ में यह भी कहा है कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस तरह की छूट तब नहीं दी जा सकती, जब इस तरह के खुलासे में जनहित जुड़ा हो। 

गौरतलब है कि पानीपत (हरियाणा) के पी.पी. कपूर ने आरटीआई के जरिये रिजर्व बैंक से उन टॉप 100 बिजनेसमैन का नाम, पता, फर्म का नाम, मूल राशि, ब्याज राशि और कर्ज लेने की तारीख के बारे में जानना चाहा था, जिन्होंने कर्ज लेने के बाद उसे नहीं चुकाया। 

कपूर ने इनके डिफॉल्टर होने की तारीख की भी जानकारी मांगी थी। मगर इसके जवाब में रिजर्व बैंक के एक अधिकारी ने कहा था, इस बात में कोई संदेह नहीं है कि बैंकों से डिफॉल्टरों के बारे में मिली सूचना को रिजर्व बैंक ने अपने पास विश्वास संबंधी आधार पर रखा है और ये गोपनीय प्रकृति की हैं। 

सूचना आयुक्त ने अपने आदेश में कहा कि कर्ज की अदायगी न करने वाले बिजनेसमैनों के नाम का खुलासा होने से ऐसे लोगों पर कर्ज अदा करने के लिए दबाव बनेगा। इससे ऐसे नागरिक भी सतर्क होंगे, जो कर्ज नहीं चुका पाए हैं। कर्ज न चुका पाने वाले शीर्ष उद्यमियों के नामों की जानकारी नागरिकों को होनी चाहिए। यह जनहित में है और ऐसे में इस मामले में 'दूसरे की अमानत' वाली बात यहां लागू नहीं होती। 

उन्होंने कहा कि आयोग को इस बात की जानकारी है कि रिजर्व बैंक ने डिफॉल्टरों की सूची 'सिबिल' नाम के एक संगठन को दी है। ऐसे में यह समझ पाना मुश्किल है कि वह आरटीआई के तहत यह सूचना देने में क्यों हिचकिचा रहा है। स्त्रोत/साभार : विशेष संवाददाता, नव भारत टाइम्स, (100 टॉप डिफॉल्टरों के नाम जाहिर होंगे), १६.११.२०११ 

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