स्वतंत्रता दिवस के ठीक दूसरे दिन दिल्ली में पूर्व कानून मंत्री व अधिवक्ता शान्ति भूषण के घर से दिल्ली पुलिस ने अन्ना हजारे को उठा लिया और बड़े ड्रामे के बाद उन्हें तिहाड़ जेल लेजा कर बंद कर दिया। पुलिस हिरासत में आने से पहले ही अन्ना का अनशन शुरू हो चुका था, लिहाजा वो पूरे समय भूखे रहे। इस नाटक में दिल्ली पुलिस के खेल का पर्दा सोमवार को उठा और एक-एक बात खुद पुलिस ने स्पष्ट करी कि आखिर उसने अन्ना को क्यों गिरफ्तार किया था।
पुलिस ने अन्ना की गिरफ्तारी से जुड़े सभी सवालों के जवाब सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में दिये। पुलिस का तर्क है कि अन्ना को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उनके अनशन से शहर में हिंसा भड़कने की आशंका थी। इसीलिए गिरफ्तार करने के तुरंत बाद ही पुलिस ने कोर्ट से स्पेशल मजिस्ट्रेट की एक बेंच बैठाने की दरख्वास्त की थी।
पुलिस का कहना है, "अन्ना के समर्थकों को जयप्रकाश नारायण पार्क में अनशन की अनुमति नहीं दी गई थी और वहां धारा 144 लगी हुई थी। पुलिस से कहा गया था कि यदि अन्ना लिख कर दे दें कि वो जेपी पार्क में अनशन नहीं करेंगे, तभी उन्हें छोड़ा जाये वो भी 10 हजार रुपए के मुचलके पर। जब अन्ना ने लिख कर देने से इनकार कर दिया तो उन्हें और उनके तीन साथियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।"
आरटीआई से प्राप्त सूचना के मुताबिक परिस्थितियों को देखते हुए बीच में एक बार दिल्ली पुलिस ने भी कोर्ट से अन्ना को रिहा करने की मांग की थी। पुलिस को धीरे-धीरे विश्वास हो गया था कि अन्ना के समर्थक कोई भी हिंसा नहीं करेंगे। यहां तक अन्ना के कई समर्थकों ने भी कहा था कि अन्ना को ज्यादा समय तक बंद रखा तो हिंसा भड़क सकती है।
जबकि जिस समय अन्ना को गिरफ्तार किया गया था, तब गृहमंत्री पी चिदंबरम ने मीडिया से कहा था कि पुलिस ने अन्ना की न्यायिक हिरासत के बारे में कोर्ट से कोई बात नहीं की है।-Source : Oneindaihindi, बुधवार, दिसंबर 7, 2011,15:58 [IST]
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