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Thursday, January 26, 2012

आरटीआई की ताकत को पहचाना!

कार्यालय संवाददाता, होशियारपुर, पंजाब| कार्यपालिका की कार्यप्रणाली के सुधार के लिए वैसे तो विभिन्न सामाजिक संगठन अपना उम्दा योगदान दे रहे हैं। वहीं एक ऐसा संगठन भी है जो कार्यपालिका के कार्यपालिका की जवाबदेही के लिए कार्यशैली में सवंर्धन की कोशिश में जुटा है। हेल्प संस्था ने व्यवस्था में पारदर्शिता के लिए सूचना के अधिकार को अपनी ताकत बनाया और कार्यपालिका की कमियों को सामने लाकर उसमें सुधार के लिए प्रयास भी किए।

सूचना अधिकार एक्ट 2005 को छठा वर्ष चल रहा है। लोगों को उनकी ताकत के बारे में अवगत करवाने में सामाजिक संस्था ह्यूंमन इंपावरमेंट लीग आफ पंजाब (हेल्प) ने अपने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्ष 2007 में 11 मित्रों की सामाज के लिए कुछ करने की चाहत ने संस्था हेल्प को जन्म दिया। संस्था के चेयरमैन गुरवीर सिंह मेकेनिकल इंजीनियर हैं। इसके अलावा दीपक बाली अध्यक्ष व परविंदर सिंह कितना महासचिव बने। इन्होंने मानवाधिकार, सूचना के अधिकार व उन मुद्दों को जिनको कि इग्नोर कर दिया जाता था या उन पर सरकार या विभाग काम नहीं करना चाहती थी ऐसे इशू उठाने शुरू कर दिए।

संस्था के महासचिव परविंदर सिंह कितना बताते हैं कि सूचना के अधिकार से पहले बार वे तब रूबरू हुए जब उन्होंने नवांशहर के एसएसपी को रजिस्टर्ड शिकायत भेजी जोकि उनको वापस आ गई। ऐसी ही एक शिकायत जब उनके दोस्त को वापिस आई तो उन्होंने आरटीआई के माध्यम से विभाग से पूछा कि तीन महीनों में उन्होंने कितनी शिकायतें स्वीकार की हैं। जब जवाब आया तो पता चला कि तीन महीने में 72 रजिस्टर्ड पत्र स्वीकार नहीं किए गए। इस मामले को समाचार पत्रों ने प्रमुखता से उठाया और बाद में संबंधित एसएसपी ने पत्र स्वीकार करने शुरू कर दिए।

अब हमें अहसास होने लगा कि सूचना का अधिकार लोगों को न्याय दिलाने में अहम भूमिका अदा कर सकता है। फिर तो हमने जन हित मामले उठाने शुरू कर दिए। विधायक विधानसभा में क्या-क्या और कितने सवाल पूछते हैं यह लोगों को पता चलने लगा।

एक बार उनकी तरफ से आरटीआई डालकर विधान सभा की गाड़ियों के कागजात का ब्यौरा मांग गया। जब जानकारी आई तो पता चला कि विधानसभा की 158 गाड़ियों का प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं बना था। यह मामला जब समाचार पत्रों में आया तो विधानसभा ने इन गाड़ियों के सभी ड्राइवरों का वेतन तब तक के लिए रोक लिया जब तक वे उस गाड़ी का प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं बना लेते। इस तरह की जानकारी जब लोगों के सामने आती है तो जनता को लगता है कि आरटीआई एक सशक्त माध्यम हैं जो उनको इंसाफ दिला सकता है।

आरटीआई की असली ताकत का उन्हें तब पता चला जब एक रिटायर्ड आईएएस के खिलाफ विजिलेंस जांच के बाद मामला दर्ज हुआ।

भगत सिंह के जन्म दिन पर करवाए समारोह के लिए तीन करोड़ 79 लाख की ग्रांट आई थी। जानकारी लेने पर उन्हें पता चला कि इस ग्रांट में 1 करोड़ 43 लाख रुपये का घपला हुआ है। मामले को जब उन्होंने उठा कर विजिलेंस जांच करवाई और विजिलेंस ने जांच के बाद रिटा. आईएएस अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। यह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है।

इस तरह अनेक ऐसे जनहित के मुद्दे हैं जोकि संस्था की ओर से उठाए गए जिसके समाज में सकारात्मक परिणाम देखने को भी मिले। कितना ने बताया कि लोगों के फोन व पत्र व्यवहार से उनको पता चलता है कि संस्था सरकारी काम में सकारात्मक बदलाव में अहम भूमिका अदा कर रही है।-Jagran, Updated on: Sun, 22 Jan 2012 09:50 PM (IST)

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