नई दिल्ली। सूचना का अधिकार कानून के तहत विशेष कार्यबल (एसटीएफ) के छह कमांडोज के परिजनों को दिए गए मुआवजे के बारे में मांगी गई जानकारी देने से इनकार करते हुए उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के कार्यालय ने एक आश्चर्यजनक दलील दी है।
उनके कार्यालय का कहना है कि ठोकिया गैंग से मुठभेड़ में शहीद हुए एसटीएफ के छह कमांडोज के परिजनों को कितना मुआवजा दिया गया, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह जानकारी एक वकील ने मांगी गई है। हालांकि मुख्य सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्र ने राज्य सरकार की इस दलील को गलत करार दिया है। उत्तर प्रदेश के जेपी नगर के वकील सुरमित कुमार गुप्ता ने 22 जुलाई, 2007 को बांदा में डकैत ठोकिया गैंग के साथ मुठभेड़ में मारे गए एसटीएफ के छह कमांडोज के परिवार वालों को दिए गए मुआवजे के बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी। मुठभेड़ के बाद मुख्यमंत्री ने प्रत्येक शहीद कमांडो के परिजन को पांच-पांच लाख रूपए देने की घोषणा की थी। यह देश की सेवा में प्राण गंवाने पर दी जाने वाली दस लाख रूपए की धनराशि के अतिरिक्त थी। गुप्ता ने मुख्यमंत्री कार्यालय से जानकारी मांगी थी कि क्या मायावती ने ऐसी कोई घोषणा की थी? मुठभेड़ के चार वर्ष बीत जाने के बाद क्या मुआवजा दे दिया गया है? इस पर मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया कि आवेदक ने एक वकील के तौर पर जानकारी मांगी है, इसलिए यह सवाल आरटीआई कानून के तहत नहीं आता है। उत्तर प्रदेश सरकार की इस दलील से सत्यानंद मिश्र सहमत नहीं हैं।-Prathkaal, WEDNESDAY, 21 DECEMBER 2011 03:35
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